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आओ चाँद / प्रकाश मनु

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<poem>जल्दी आओ भैया चाँद,
ले लो एक रुपैया चाँद!
कितने अच्छे लगते हो जी,
सर्दी में तुम ठिठुर न जाना!
कर लो एक मढैया चाँद!

चाँदनिया में मुस्काते हो
सारे जग को नहलाते हो,
जरा इधर भी हँस दो प्यारे-
टेर रही है मैया चाँद!

नीले नभ का घूँघट लेकर
सब तारों को न्योता देकर,
एक बार तो नाच दिखा दो-
धा-धिन, ता-ता-थैया चाँद!

गरम दूध यह, और मलाई
चाँदी की थलिया में लाई,
एक साँस में सब पी जाओ-
आओ, पाँ-पाँ पैयाँ चाँद!
</poem>
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