भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्यारी मुन्नी / ममता कालिया

883 bytes added, 04:18, 4 अक्टूबर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ममता कालिया |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ममता कालिया
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>एक पराँठा गोभी का लो
एक पराँठा मूली का,
एक पराँठा पीटर को दो
एक पराँठा जूली का।
एक पराँठा मेथी वाला
खाएगी प्यारी मुन्नी
एक पराँठा आलू वाला
माँग रही चंचल चुन्नी।
एक पराँठा बेसन वाला
एक पराँठा पिट्ठी का
दही मँगाओ कुल्हड़ भरकर
बने नाश्ता छुट्टी का!

-साभार: हीरोज पत्रिका, इलाहाबाद, 41
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits