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{{KKRachna
|रचनाकार=कृष्णकांत तैलंग
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|संग्रह=मौज मजे
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<poem>ताक धिना-धिन, ताक धिना-धिन!

मोटे बस्ते से कुट्टी है,
छुट्टी है, भाई छुट्टी है,
शाला के दिन कटते गिन-गिन!

खेलें-कूदें, मौज मनाएँ,
नाचें-गाएँ, धूम मचाएँ,
बढ़िया लगते छुट्टी के दिन!

दूर-दूर की सैर करेंगे,
मन में नई उमंग भरेंगे,
मज़ा रहेगा हर पल, हर दिन!

अच्छी-अच्छी नई पुरानी,
खूब पढ़ेंगे कथा-कहानी
सूना लगता नानी के बिन!
</poem>
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