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{{KKRachna
|रचनाकार=प्रयाग शुक्ल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>भालू की माँ बोली-कालू
आ तुझको नहला दूँ,
लगा-लगाकर साबुन तेरा
सारा मैल छुड़ा दूँ!
भागा भालू ज्यों ही माँ ने
डाला ठंडा पानी!
लगा चीखने जोर-जोर से
याद आ गई नानी!
</poem>
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<poem>भालू की माँ बोली-कालू
आ तुझको नहला दूँ,
लगा-लगाकर साबुन तेरा
सारा मैल छुड़ा दूँ!
भागा भालू ज्यों ही माँ ने
डाला ठंडा पानी!
लगा चीखने जोर-जोर से
याद आ गई नानी!
</poem>