भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तारादत्त निर्विरोध |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=तारादत्त निर्विरोध
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>गीदड़ के घर एटहोम में
पहुँचे सारस भाई,
खाने-पीने लगे अचानक
बिल्ली भागी आई।
बोली-ठहरो, कुछ मत खाना
यह आयोजन ऐसा,
खर्च हुआ जिसमें गीदड़ का
सारा काला पैसा!

-साभार: बालसखा, 1954
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits