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<poem>भालू जी दौरे पर आए
बने जाँच अधिकारी,
जमाखोर बंदर ने की
तब पूरी खातिरदारी।
चौसठ पूड़ी, पैंसठ लड्डू
एक बार में खाए,
सोए चादर तान-
सातवें दिन तक
लौट न पाए।

-साभार: धर्मयुग, 1969
</poem>
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