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{{KKRachna
|रचनाकार=शरदकुमार मिश्र 'शरद'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatBaalKavita}}
<poem>बड़ी करारी मूँगफली,
आओ खाएँ मूँगफली!
बड़ी बहन बादाम की
फिर भी सस्ते दाम की,
महलों से फुटपाथों तक
सभी चबाते मूँगफली!
मम्मी, पापा खाते हैं
सर्दी दूर भगाते हैं,
बिना दाँत के बाबा को
भी ललचाएँ मूँगफली!
सबके मन को भाती है
तन में गरमी लाती है,
खाकर पानी मत पीना
खाँसी कर दे मूँगफली!
</poem>
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<poem>बड़ी करारी मूँगफली,
आओ खाएँ मूँगफली!
बड़ी बहन बादाम की
फिर भी सस्ते दाम की,
महलों से फुटपाथों तक
सभी चबाते मूँगफली!
मम्मी, पापा खाते हैं
सर्दी दूर भगाते हैं,
बिना दाँत के बाबा को
भी ललचाएँ मूँगफली!
सबके मन को भाती है
तन में गरमी लाती है,
खाकर पानी मत पीना
खाँसी कर दे मूँगफली!
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