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पुत्र सभक प्रति प्रीति अगाध,
रहल नृपक उर सतत् अवाध।
मंुगलमय मंगलमय वह सतत् वयार
राज्य प्रजा विच सुखक अपार।
बहुत वर्ष बीतल एहि रीति,
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