भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दर्द और दवा ! / अर्चना कुमारी

1,020 bytes added, 05:07, 8 दिसम्बर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्चना कुमारी |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अर्चना कुमारी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>इन्तजार की दाँयी आँख दुखते ही
कान का दर्द बढ गया
आधे सर की पीड़ा भी गजब है
एक साथ होता है
सुख-दुख का बोध

इन्तजार के नाम नहीं आती कोई दवा
सिवाय इन्तजार के
अब थपकी देने का समय आया पलकों को
नीन्द दूर तक कहीं नहीं

दर्द-निवारक जरुरी है
सपनों की आमद के लिए
कि कोई मीठा दर्द न हो मन में तो
चैन नहीं आता
इन्तजार के करार के नाम
लिख छोड़ा तुम्हें !</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits