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{{KKRachna
|रचनाकार=राग तेलंग
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>एक शख्स की जेब में कम पैसे थे
तो उसने एक कचौड़ी ली
एक के पास
कम न ज्यादा मुद्रा थी
तो उसने
डोसा लिया और पोहा-जलेबी,चाय
एक को देखकर ही लगता था
हर तरह से लबरेज है वह
ढेर सारा खाना लिए
बड़ी जल्दी में जाता दिखा
ये
विविधता में एकता के मुल्क का
एक दृश्य था
जो देखा मैंने
डोडी पर
लिए चला आया जिसे साथ
अकेले में
पोस्टमार्टम करने के लिए.
</poem>
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<poem>एक शख्स की जेब में कम पैसे थे
तो उसने एक कचौड़ी ली
एक के पास
कम न ज्यादा मुद्रा थी
तो उसने
डोसा लिया और पोहा-जलेबी,चाय
एक को देखकर ही लगता था
हर तरह से लबरेज है वह
ढेर सारा खाना लिए
बड़ी जल्दी में जाता दिखा
ये
विविधता में एकता के मुल्क का
एक दृश्य था
जो देखा मैंने
डोडी पर
लिए चला आया जिसे साथ
अकेले में
पोस्टमार्टम करने के लिए.
</poem>