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|रचनाकार=शैलजा पाठक
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|संग्रह=मैं एक देह हूँ, फिर देहरी / शैलजा पाठक
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<poem>जब नदी के पास नहीं बचेगा पानी
चूल्हे में बुझी होगी बीते दिनों की आग