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दोऊ गल बाहीं दिये / प्रेमघन

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|संग्रह=युगमंगलस्तोत्र / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
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दोऊ गल बाहीं दिये ठाढ़े जमुना तीर।
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