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पावस - 2 / प्रेमघन

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|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
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<poem>
सावन समान करि आयो री महान,
::मैन मीत बलवान साजे सैन बगुलान की।
धनु इन्द्रधनु बान बुंद बरसान बन्दी,
::विरद समान कल कूक मुरवान की॥
प्रेमघन प्रान प्रिय बिन अकुलान लाग्यो,
::लखत कृपान सी चलान चपलान की।
धीरज परान हहरान हिय लाग्यो सुन,
::धुन धुरवान घोर घुमड़ी घटान की॥
</poem>
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