भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पावस - 15 / प्रेमघन

834 bytes added, 07:28, 22 फ़रवरी 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
}}
{{KKCatBrajBhashaRachna}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
बनी बर्षा की बहार बिलोकिबै,
::काज अटान चढ़ी वह बाल।
दबी दुति दामिनि देखत दीपति,
::सुन्दर देंह लजाय कमाल॥
उदय घन प्रेम करै मुख मंडल,
::सोहत सूहे दुकूल रसाल।
लखौ जनु घेरि लियो चहुँ ओर सों,
::चन्द अमन्दहि नीरद लाल॥
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits