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16:32, 16 मई 2016
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ऊ दिनहमरोॅ देशजबेॅ हम्में हजार तीर सें बिंधलोॅहमरोॅ दानव बंधु !तोरोॅ शरीर केॅ देखलेॅ छेलियांजेहनोॅ दिव्य देहजना साही के शरीर रहेॅ होने मोॅन आरो मस्तिक !जेकरोॅ नै तेॅ हमरा हठासियेख्याल आवी गेलोॅ छेलैज्ञान के बराबरीतोरोॅ वहा बलिष्ठ देहनै विचार केजेकरोॅ गर्दन परदस हीरा नै संस्कृति के मालाहेने शोभै छेलैजेना तोरोॅ दस शीश रहेॅ;प्रतिबिम्ब जना प्रतिबिम्ब नै रहेॅसंस्कार केविरोधी, मूड़िये समझी केॅकाटेॅदस शीश ।नै व्यवहार के !
फूल के बतैलेॅ छेलैसुगन्ध सेंआर्यकुल श्रेष्ठ राम केॅ ई बात ?बेकल हुवै वाला दानवफूले जकां मोॅन राखै वाला दानवफूले लेॅ सोचै वालाहमरोॅ द्वीपवासीसंगीत आरो नृत्य में रमै वालाहमरोॅ देशवासी !अमृत के वाणी पैलेॅ छैहमरोॅ सुम्बा !आय लागै छैकत्तेॅ युग बीती गेलैआपनोॅ देश देखलोॅ होलोॅ।
आय तोहें हमरोॅ पास नै छोॅतेॅ याद आवै छैऊ मधुयामिनी के बात आहहमरोॅ रूपदेशहमरोॅ शृंगारद्वीपहमरोॅ हास-परिहाससुम्बाके अनन्य प्रशंसकजहांकरोॅ राजोतोहें केनाविपत्ति पड़ला परकाल के शिकार होय गेलौ ?सैनिक साथें युद्ध करेॅ पारेॅधरती परआपने नैके छेलै तोरा नाँखी पराक्रमीपड़ोसी देशो लेॅतपीमरेॅ-खपेॅ पारेॅ, ऐश्वर्यवानआर्यपुत्रा सें कैन्हों केॅ कम नैजो कमी छेलौंतेॅ यहेॅ किµजहांकरोॅ बूढ़ोॅ-बापभोगे तोरोॅ बेटी लेॅ जीवन छेलौंसब तोरोॅ लेॅतोरा सम्मुख कोय कांही नैदुख सहेॅ पारेॅ,तही तेॅ तोरा लेॅयुद्ध करेॅ पारेॅनै कुबेर छेलौंनै विभीषण।आरो शांति सें मरेॅ पारेॅ !
आबेॅ लोगें जे कहोॅवहा देश मेंकि विभीषण कुलघाती छेलैहम्में लौटी जैबैआरो कुबेर दंभीवहांकरोॅ पछुवा हवाखोजला सें तेॅ सबमेंहमरा बुलाबै छैकुछखेत-नखलिहान में अनाज ओसैतेंदानव कन्या के हँसी हंकाबै छैजेनाजोर-जोर सेंहंकैतेॅ रहेॅ समुद्र के शोरलहरोॅ के संगीत अछोरखुली केॅ खेलै लेॅहांसै लेॅनाचै लेॅऊ आत्मा नांखिजे राजसी-कुछ दोख तामसी बन्धन सेमिलिये जाय छै।मुक्त हुएॅ ।
देवताओ के दुखहोन्हौं केॅ आबेॅअलोपित होय जाय हमरोॅ लेॅ की बचलोॅ छैई लंका मेंजो ओकरोॅ व्यवहारजिनगी कथी लेॅ काटबोॅ स्त्रा के प्रति वाम नै होय छैशंका मेंहे लंकाधिपतिसहमी-सहमी केॅसब इन्द्रिय सें विरत होलौ परडरी-डरी केॅतोहें मानोॅ नै मानोॅतोरोॅ ई चूकतोरा लेॅ महाकाल बनी गेलै।जीते जी मरी-मरी केॅ।
आबेॅ हमरोॅ लेॅ ऊ विश्वास तेॅई सोना के लंका मेंवहा दिन मरी चुकलोॅ छैछेवे की जबेॅ हम्में देखलेॅ छेलियैतीनो लोकतीनो देवतातीनो शक्ति केॅभयभीत करै वालाकी रं लहू सें लथपथ छेलै;जे भुजा पर हमरा लेॅ,ओतना विश्वास छेलैऊ टुकड़ा-टुकड़ा मेंकहाँ-कहाँ गिरलोॅ छेलैनै हमरोॅ दियोरजानौतबेॅ हम्में सपनौ मेंनै ननदसोचलेॅ छेलियैकि मृत्युसमय पुरला परकेकरो नै भैसुरछोड़ै छैन सेविकानै देवता केनै परिचारिकादानव केकोय कुछ नै।तबेॅ रक्षाधिपे के केना छोडतियै ।
कोय कुछ हुवौ नै पारेॅदेश-देश सेंलूटी केॅ लानलोॅ गेलोॅई अपार धनसोनाचांदीहीरा-जवाहरातकी लंका के लब्बोॅ अधिपति केॅललचैतै नैनया लंकेश्वर कोय्यो बनेॅविभीषणआकि कुबेरफेनू अच्छा होतै स्त्रा आरो सम्पत लेॅ युद्ध । अपार धन कि आरो वैभव के मोहभला केकरौ चित्त केॅ शांत रहै दै वाला छै की ?वहू मेंजे देशोॅ मेंकिसिम-किसिम के लोग बसेॅकोय दैन्य कुल केविश्वासकोय असुर कुल केहमरोॅ साथ छोड़ी देॅकोय दानव कुल नीलम चट्टानोॅ केनीचेंसब-के-सबबनैलोॅ गेलोॅ बन्दी;भला की सोचतैई देश के हित। बान्ही-छान्ही केॅ बनैलोॅभला के भगत बनलोॅ छै !एक लंकेश्वर की मरलैदूसरोॅ लंकेश्वर होय लेॅ तनलोॅ छै,आरो फेनूजे जहाँ बचलोॅ छैजोॅन-जोॅन सोना के हवेली चिर निद्रा मेंसुतलोॅदिवंगत लंकेश्वर केविधवा रानी सब,सब बनी जैतैदेखतें-देखतेंनया लंकेश्वर के रानी युग-युग के कहानी । हमरा नै रहना छैई वैभव-विलास केमाया नगरी मेंजहाँ आदमी के धर्म सें बढ़ी केॅआदमी के वैभव छैआदमी के ताकत छैजहाँ दास आरो स्त्राएक्के रं मानलोॅ जाय,बात-बात परओकरोॅ ऊपरमुक्का तानलोॅ जाय;वहाँ आरो सब के वास हुएॅ पारेॅहे हमरोॅ प्राणआत्मा केना बसतै हम्में क्षमा चाहै छी ।
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