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सौन्दर्य - 4 / प्रेमघन

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{{KKRachna
|रचनाकार=बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
|संग्रह=प्रेम पीयूष / बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन'
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<poem>
मृगलोचनि मंजु मयंक मुखी,
::धनि जोबन रूप जखीरनि तू।
मृदुहासिनी फाँसिनी मोहन को,
::कच मेचक जाल जँजीरनी तू॥
धन प्रेम पयोनिधि वासिहि बोरहि,
::नेह मैं नाभि गंभीरनी तू।
जगनायकै चेरो बनाय लियो,
::अरी वाह री वाह अहीरनी तू॥
</poem>
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