भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi|भाषा=राजस्थानीKKCatRajasthaniRachna}}<poem>म्हारों बालूड़ों ग्यो तो सासरे, जरमरियो<br>काईं काईं लायो रे वीरा डायजिये ... जरमरियो ढ़ोलो<br>लाड़ी आयो ने अनुअर डायजिये ... जरमरियो ढ़ोलो<br>बेड़ो लायो ने थाली डायजिये ... जरमरियो ढ़ोलो<br>लोटो लायो ने लोटी डायजिये ... जरमरियो ढ़ोलो<br>सीरस लायो ने ढ़ाल्यो डायजिये ... जरमरियो ढ़ोलो<br>म्हारो बालूड़ो ग्यो तो सासरे ... जरमरियो ढ़ोलो<br>
काईं काईं लायो रे वीरा डायजिये ... जरमरियो ढ़ोलो।
</poem>