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{{KKGlobal}}{{KKLokRachna|भाषा=|रचनाकार=अज्ञात|संग्रह=}} {{KKCatRajasthaniRachna}} <poem>बई -सा रा बीरा, जयपुर जाजो जी आता तो लाइ जो ,तारा री चुंदरी... सुन्दर गौरी , पोत बतावो जी कसिक ल्यावा, तारा री चुंदरी.... बई -सा रा बीरा, हरा हरा पल्ला जी कसुमल रंग की, तारा री चुंदरी ... म्हारी मिरगा नैनी , ओढ़ बतावो जी कसिक सोवे, तारा री चुंदरी .... बई -सा रा बीरा, ननद हटीली जी,
ओढ़न नहीं दे, तारा री चुंदरी...
म्हारी चंदा बदनी, ओढ़ बतावो जी,
महेला में निरखा, जाली री चुंदरी ... बाई -सा बीरा, जयपुर जाजो जी, आता तो लाइ जो , तारा री चुंदरी, महेला में निरखा, जाली री चुंदरी</poem>