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Kavita Kosh से
खुले आसमान के नीचे
सन्तुष्ट है और खुश
एक वह है
जेा ड्रामा करना जानता है
और झूठ का कारोबार कर लेता है
दूसरा वह है
जो न बयानबाजी जानता है न भाषणबाजी
हाथ जोड़ लेता है तो हुनर काम करता है
खामोश रहता है तो मौन
सबका अलग किरदार है
और अलग मंच
पर, हर किरदार की परख
उसके सत्य से होती है
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