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दिन हफ़्ते पखवारे बीते लेकिन क़ातिल घूम रहा था
कैसे वह पकड़ा जाता जब पुलिस का चौखट चूम रहा था ‘कमलनयन‘ की अगुआई में कवि, लेखक जब आगे आये
खुलीं प्रशासन की तब आँखें तब अपराधी पकड़ में आये।
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