भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
अंबर -सा विस्तार दिखे तो सागर की गहराई होती
नहीं है कोई धटाटोप पर कण - कण की बातें हैं उसमें
फूलों की ही बात नहीं है काँटों से भी प्यार वहाँ है