भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=योगेंद्र कृष्णा |संग्रह=कविता के...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=योगेंद्र कृष्णा
|संग्रह=कविता के विरुद्ध / योगेंद्र कृष्णा
}}
<poem>
पता होता है
परिंदों को भी…
हवा में पत्तों की सरसराहट
और दवे पांव
आदमी के चलने की आहट
कितनी अलग होती है
अपने इरादों में
नैसर्गिक इस समझ के साथ ही
कोई चिड़िया
आसमान से
उतरती है जमीं पर…
{{KKRachna
|रचनाकार=योगेंद्र कृष्णा
|संग्रह=कविता के विरुद्ध / योगेंद्र कृष्णा
}}
<poem>
पता होता है
परिंदों को भी…
हवा में पत्तों की सरसराहट
और दवे पांव
आदमी के चलने की आहट
कितनी अलग होती है
अपने इरादों में
नैसर्गिक इस समझ के साथ ही
कोई चिड़िया
आसमान से
उतरती है जमीं पर…