भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
1,010 bytes removed,
10:08, 3 मार्च 2017
{{KKCatAngikaRachna}}
<poem>
तोंय सबसे सुंदर लागै छोॅअंगो के भाषा छिकै,मिलना छै सम्मान।तोंय सबसे प्यारोॅ लागै छोॅहमरा खातिर अंगिका,कली तोंय हमरोॅ बगिया रोॅ,उषा रोॅ लाली लागै छै।तोंय बेटी कलीछेकै जान-फूल बेली के परान।।सुगंध जूही आरोॅ चमेली केतोंय बेटी गंगा रोॅ धाराअमरेंदर, राहुल,माय रोॅ छेकोॅ तोंही सहारा।विमल, केॅ करतै सब याद।जें बेटी भक्ति करै छैदै नव साहित्य केॅ,रोजे पानी खाद।।तेॅ ऊ मीरा बनी जाय छै।तोंय बेटी शक्ति स्वरूपा छोॅतोंही दुर्गा रुप अनूपा छोॅ।जौं बेटी प्रेमों के पावन धारा,तेॅ ऊ राधा बनी जाए सबसें मिट्ठोॅ छैसखी,जौं बेटी ममता रोॅ मूरत,तेॅ ऊ मरियम बनी जाय छैमाय अंग देश के बेटी तेॅ आन छेकैॅ,बोल।बापों लेॅ बेटी तेॅ शान छेकैगद्य-पद्य साहित्य सब,भाय अंगोॅ के जान छेकै बेटी अनमोल।।सबके अरमान छेकै बेटी।धरती आय अंगिका के श्रृंगार छेकै बेटीपायल रोॅ झंकार छेकै बेटीनया संसार बसावै छैसृष्टि के भार उठावै छै।सुखद संसार छै बेटी सें लली,खोजे छिये मकाम।स्नेहकठिन डगर रास्ता बड़ोॅ, ममता के डोरी से जगत के ताप मिटावोॅ छै नया-नया इतिहास बनाबोॅ छै ।तहियोॅ करबै काम।।
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader