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|रचनाकार=मनोज पुरोहित ‘अनंत’
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|संग्रह=थार-सप्तक-1 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
गांधी बाबा
राम-राम !
थां रा दरसण
म्हानै भावै
थूं ई छप-छप
नोटां में आवै
थारा गुण
बोटां में गावै
थूं ई राम
थूं ई रहीम
थूं ई वाहे गुरू
पण थारा अंदाज
भोत जुदा
थां री फोटू
जेब में
राजी सारा
सगळी ऐब में।
थां रो नाम
काढै काम
धरणों लागै
थारै घाट
नेता भोगै
पूरा ठाट

थारी टोपी
राजनीति टोपी
राजनीति री
गोपा-गोपी
नेता नाचै
कर-कर कोपी।
</poem>
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