भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भीष्म / चैनसिंह शेखावत

1,106 bytes added, 12:38, 10 जून 2017
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चैनसिंह शेखावत |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चैनसिंह शेखावत
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
म्हैं परतीतूं आज
जाणै भीष्म बण्यो बैठ्यो हूं।

डचका भरतो बगत
ईयां लागै कै कीं पूछसी
अबखायां नै अंवेरतां
किण नै कांई सूझसी

खुद रा ताना बाना
उळझ्योड़ो
ठेटूं ठेट तण्यो बैठ्यो हूं।

बाको फाड्यां महाभारत
सगळी सोध
सवालां सारू
उथळा आवै किण कानी सूं
निजरा अटकी झालां सारू

मून मनायो मैं’गो पड़ग्यो
आरूं पार छण्यो बैठ्यो हूं।

</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits