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{{KKRachna
|रचनाकार=चैनसिंह शेखावत
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
सुणीजै
चांद अडाणै म्हैलीजै
भीड़ री
जितरी ईज अबखायां हुवै
चांद उणा री रामबाण
इण वास्तै ओ दावो है
सबद जद पूगै
आभै ताईं
चां रो थान हुवै (रीतो)।
</poem>
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सुणीजै
चांद अडाणै म्हैलीजै
भीड़ री
जितरी ईज अबखायां हुवै
चांद उणा री रामबाण
इण वास्तै ओ दावो है
सबद जद पूगै
आभै ताईं
चां रो थान हुवै (रीतो)।
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