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|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
खींपोळी रै साग री सोरम
गांव रै चूलां सूं
सागण उणी दिनां उठै
जद नीमड़ै रै नूंवै पाना बिचाळै
मुळकता दीसै
मोवणा मींझर

थार रै तपीजणै सूं पैली
जाणै अेक ओसर
सुवाद अर सोरम री कंवळाई
काईं ठाणो
कद बावड़ै

आभै मंडीजैला
अगन रा आंक
जोहड़ै री पाळ
दूबळी सी दूब
मिचमिचा’र आंख्यां
टेक देवैली गोडा।
</poem>
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