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|रचनाकार=गौरीशंकर
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-2 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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<poem>
सूरज री भोर
थारी ओळयूं आाई
म्हानै
खेत में ...
देखूं
बाजरी रा सिट्टा री बूर नै
निरखूं
थारै चैरे ने
बूर ज्यूं
भोर में...।
</poem>
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<poem>
सूरज री भोर
थारी ओळयूं आाई
म्हानै
खेत में ...
देखूं
बाजरी रा सिट्टा री बूर नै
निरखूं
थारै चैरे ने
बूर ज्यूं
भोर में...।
</poem>