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{{KKRachna
|रचनाकार=रचना शेखावत
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
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<poem>
पल्लै राखी बांध्योड़ी
बा दीठ उण दिन री
नैणां रा च्यार आखरां में कैयोड़ी
रूंवां रा हजार कानां सूं सुण्योड़ी
जद खोली आ सौरम
बा बणगी बंधेज चूनड़ रो
अर छाबड़ियै पीळै रो
पल्लै राखी ही जकी दीठ।
</poem>
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पल्लै राखी बांध्योड़ी
बा दीठ उण दिन री
नैणां रा च्यार आखरां में कैयोड़ी
रूंवां रा हजार कानां सूं सुण्योड़ी
जद खोली आ सौरम
बा बणगी बंधेज चूनड़ रो
अर छाबड़ियै पीळै रो
पल्लै राखी ही जकी दीठ।
</poem>