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|रचनाकार=हरीश हैरी
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|संग्रह=थार-सप्तक-6 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
लोग देवतावां नै
मनावण सारु
पहाड़ां माथै
जा चढ्या
देवता तो मानग्या
पहाड़ पण मान्या कोनी
पहाड़ा दाब मारया लोगां नै
देवता नेड़ै नी आया!
</poem>
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