भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हनुमान प्रसाद बिरकाळी |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हनुमान प्रसाद बिरकाळी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-6 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
जद माइत हा
समझांवता हरमेस
देंवता सीख
पण बा सीख
उण घड़ी
भोत लागती
खारी-खारी
सीख माथै चालतां
पूगता पण ठावै ठिकाणैं।

आज जद
नीं है माइत
सीख रै गेलां
जमगी रेत
अब पिछतावां
पिछतायां पण
आवै काई हाथ
जद चुगगी चिड़कली
समझ रो खेत।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits