भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
(10)
चांदपोल बाजार हो'र दफ्तर जांतो 'बंटो'
भीड़ मांय फंस जातो, निकलण रो हो टंटो
पहुंचण खातर 'क्विक'
बरती एक 'ट्रिक'
स्कूटर उपर बांध लिंधो फायर ब्रिगेड रो घंटो।
(11)
मजिस्टे्रट रै औधे स्यूं रिटायर होयो 'झम्मन'
अपराधियां रो आखै जीवन कर्योड़ो हो दम्मन
मा री ही पगड़ी
चोट करी तगड़ी
सोक संदेश री जिग्यां, भेज दिंध्या 'सम्मन'।
(12)
आछी तरियां रोटी ढक'र राधा दफ्तर जांवती
सोच्यो नयो ढंग
आती बरियां कम्प्यूटर में फीड कर'र आंवती।
</poem>