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|रचनाकार=इंदिरा व्यास
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|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
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<poem>
खद्दर में खटमल
गदर मचावै
देस नै खावै
ताबै किणीं रै
कदैई नीं आवै
आं री बंसबेल
बधती जावै
बधती जावै
बोटां री कळ सूं निकळै
कळ में ई मर जावै
पण आं नै मारण
आगै कोई नीं आवै।
</poem>
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