भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वाज़िद हसन काज़ी |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वाज़िद हसन काज़ी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
म्हैं उडणी चावूं
इण छेड़ै सूं उण छेड़ै
जठै बाथां भरलै समंदर
इण आभै नै

म्हैं बधणी चावूं
इतरौ डीगौ
कै
हाथां सूं तोड़ लूं
तारा
अर भर लूं खूंजौ

म्हैं गमणी चावूं
रळ जाणी चावूं
बीज री गळांई
धरती मांय
कै बण सकूं अेक बिरछ
फैल सकूं घेर घुमैर
धरती रै चौफेर

पसार सकूं
हेत री छियां।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits