भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वाज़िद हसन काज़ी |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वाज़िद हसन काज़ी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
पाणी
बैवै ऊपरां सूं नीचै
चुपचाप
बणावै आपरौ मारग खुद
आवौ भलैई कितरा ई अटकाव
पण
करै लगौलग आपरौ काम
अर पूग जावै
आपरी मंजळ तांई
के
सूख'र मेट देवै
आपरौ अेनांण
देवै सीख मिनख नैं
चुपचाप लगौलग
आपरौ काम करियां ई
मिळै मंजळां
अर मिटती जावै अबखायां
आपौ आप
तौ पकड़ गैलो
मंजलां मारै हेलौ।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=वाज़िद हसन काज़ी
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-7 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
पाणी
बैवै ऊपरां सूं नीचै
चुपचाप
बणावै आपरौ मारग खुद
आवौ भलैई कितरा ई अटकाव
पण
करै लगौलग आपरौ काम
अर पूग जावै
आपरी मंजळ तांई
के
सूख'र मेट देवै
आपरौ अेनांण
देवै सीख मिनख नैं
चुपचाप लगौलग
आपरौ काम करियां ई
मिळै मंजळां
अर मिटती जावै अबखायां
आपौ आप
तौ पकड़ गैलो
मंजलां मारै हेलौ।
</poem>