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|रचनाकार= मधु आचार्य 'आशावादी'
|संग्रह=अमर उडीक / मधु आचार्य 'आशावादी'
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<poem>
कुरसी री चर-भर रमै
नेताजी रोज
नूंवी-नूंवी चालां जोवै
लेय आवै खोज
उण री मां माथै करिया सवाल
तो उण सूं करायो
धरम रै नांव माथै बवाल।
इण खेल रा हा
बै पक्का खिलाड़ी
पण दिखावै मांय
बण्या रैवता अनाड़ी।
इणी खातर आज तांई
बां री कुरसी ही सलामत
चर-भर सूं बै करता
फगत
लोगां री ई हजामत।

</poem>
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