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|संग्रह=अेकर आज्या रै चाँद / दुष्यन्त जोशी
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<poem>
रीस में मिनख
जिनावर नीं
पागल बण सकै

पशु कन्नै
सबद नीं
संवेदना रौ
अकूत भंडार हुवै

पण पागल
भूंडै सबदां रौ पिटारौ
अर
दया रौ पात्र।
</poem>
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