भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} <poem> मं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
मंजिल हमारी और है रस्ते हमारे और।
दुनिया हमारी और है मसले हमारे और।

फूलों की तरह लोग हमें तोड़ते रहे
हँसना हमारा और है दुखड़े हमारे और।

ज्वालामुखी की आँख से आँसू निकल पड़े
दरिया हमारा और है कतरे हमारे और।

रेशम का भी बंधन हमें मंजूर नहीं है
चाहत हमारी और है रिश्ते हमारे और।

भूखें हैं लोग बात सितारों की हो रही
फसलें हमारी और हैं सपने हमारे और।

वो और हैं कलम जो बेचकर के पी गये
मस्ती हमारी और है जलवे हमारे और।

शब्दों की धार को कभी मरने नहीं दिया
ग़ज़लें हमारी और हैं नग़मे हमारे और।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits