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|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=रोशनी का कारवाँ / डी. एम. मिश्र
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<poem>
अँधेरी सुंरगों में चलना कठिन है।
कि अपने मुकद्दर से लड़ना कठिन है।

वफ़ादार बोलो कहो बेवफ़ा या,
तुम्हारी क़सम अब बदलना कठिन है।

न तो रास्ता है, न तो कोई मंजिल,
कहाँ जा रहा हूँ ये कहना कठिन है।

मुझे यह ख़बर है कि गहरी नदी है,
भँवर में है कश्ती सँभलना कठिन है।
</poem>
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