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Kavita Kosh से
हलचल है कोई तन मन मे,
खो कर जीती हूँ चैन सखी!
जब चाहत की लहरें उठती ,
सारा दिन गुजरे गीतों सँग ,
तारों सँग गुज़रे रैन सखी!
करती यदि चाहत की चाहत,
तस्वीर बसाकर इस दिल में,
आबाद करूँ ये नैन सखी!
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