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रस्मे वफा़ वफ़ा के वास्ते हर सुख भुला दिया।मैंने तो अपना एकजिंदगी का इक-एक इक पल लगा दिया।
इतनी भी इनायत तो मगर कम नहीं है दोस्त,
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