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Kavita Kosh से
इतनी भी इनायत तो मगर कम नहीं है दोस्त,
गिन गिन के मेरी जो हर ख़ता थी मुझे पहले तूने बता दिया।
फिर आखिरी समय पे क्या शिकवा गिला करें,