भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इज़्ज़तपुरम्-55 / डी. एम. मिश्र

341 bytes added, 11:44, 18 सितम्बर 2017
{{KKCatKavita}}
<poem>
अँधेरे में ऊँचेनई हैसम्बोधनों से लद जायेंखड़ी मूँछ देखकरपनाले जैसे जिस्मडर जाये
हमाम में धुलेऔकात क्यानथुनेमुट्ठी भरन भींगे यहाँपचास केजीपर-स्वेद लोड मेंनिकल आयें पसीने
गंदे अधर होंसूअरों के पवित्र हर मोटे भद्देथूथनों की पौड़ीरगड़छील दे चमड़ीनखों में बल नहीं कि पंजों से छूट सके
जाने जिगरविषैले दन्तजानेमनतोड़ने की मेरीजानटेक्नीक न आयेदोगले नीली हो बेजानकाँप उठेशब्दनामा छोड़करनिज नारियों राड न कटेऔर आरी रोज मुड़ी रहेअभी उसेबारीकी और स्टाइल का देहलार टपकाते ज्ञान और तजुर्बा भी नहीं जिसकी पकड़ मेंतेज से तेजतलवारनिराधार हो आ फाट पड़ते हैं सिकुड़ जाये अंधे कुएँ मुरचाई म्यान में
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits