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उहीं यौटा गाछी पनि छ सुन सुन्दर् सिम सफा<ref>सिसौ</ref> ।
उसै तल्‌मा सीता वरिपरि बडा राक्षसि खफखफा<ref>जागेका</ref> ।।
तिमि देखी आऊ रघुवरसितै जाइ कहिद्यौ ।
उ सीताको जस्तो विरह छ उ पर्कट्<ref>प्रकट</ref> छ लगिद्यौ ।।२७।।
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