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|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
[[Category:नवगीत]]
काँपती किरनें
जब साँझ डूबी
चांद चाँद था
उतरा किनारे।
टाल ताल भरकर
थाल में
लाया सितारे।
चांद चाँद की
पलकें झुकीं कि
और मन का सो गया।
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