भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र शर्मा 'मुसाफिर'
|अनुवादक=
|संग्रह=थार-सप्तक-3 / ओम पुरोहित ‘कागद’
}}
{{KKCatGhazal}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
चौफेर हुया बदळाव देखल्यौ
मिनखां माच्यौ हिड़काव देखल्यौ।

हुयगी है दुरगत राजनीति री
आंरा सांग सुभट-साव देखल्यौ।

पद-कुरसी खातर है तड़ातड़ी
सगळां रै लागी लाय देखल्यौ।

जनसेवा री बातां गई करौ
दिल्ली रौ चढर्यौ चाव देखल्यौ।

मिनखाचारौ साव भिसळग्यौ
राकस जैड़ा बरताव देखल्यौ।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits