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|रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष
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|संग्रह=पीठ पर आँख / इंदुशेखर तत्पुरुष
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<poem>
तुम !
इतनी ही जिद्दी
हो, तो लो, दिखाओ
पूरी करके अपनी जिद
मेरे सपनों में आना छेड़ दो।

तुम !
इतने बेशर्म हो कि,
आने के सारे रास्ते
बंद कर दिए तो भी
पलक झपकते ही
आ धमकते
पलकों के भीतर।
</poem>
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