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1. संपा
सूरज की दस्तक से बेखबर
तीन चौथाई शहर जब सोया रहता है
जो चाय भी पीने को मिलती है, वो कप उनका बिसैना हो जायेगा
वे सब इकट्ठी निकल पड़ती है, अपने काम की तरफ
अलसुबह संपा, शिल्पी के घर का कॉलबेल बजाती है
शिल्पी दरवाज़े पर संपा को देखकर
पढाई की डीग्रीयां केवल शादी तय करने के लिए जरुरी थे?
ये कैसा मकड़जाल है जिसमे...
वो निकलने की कोशिश में और फंसती फँसती जाती है
सोचते हुए तमाम सवालों का गाव तकिया लगाकर सो जाती है
सूरज सर चढ़ने पर, संपा पहुच जाती है
सूज़ी मैडम की कोठी पर