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फिर धीमी और मायावी नीलिमा
मानो
दर्षक दर्शक और दृश्यन दृश्य के मध्य
रात्री संघनित हो गयी हो, और सुबह में हीरे सी चमकती तुषार
.....
आश्चसर्यआश्चर्य
यह किसने भागते पावों से
बाएं से दाएं
दौड़कर सड़क का यह खाली हिस्सा पार किया है ?
इन चिन्ह्नों चिन्हों में छुपे पावों को मैं पढ़ना चाह रहा हूँ:
एक विंदु एक तीर पीछे चिन्हित करता: पुन: विंदु,
एक तीर पीछे चिन्हित करता............
उस वक्त मेरी आंखें ऐसी थीं जैसे भाषा में तस्वीरें खींच रही हों
जब भी मैंने स्वीकृति दी या चुपचाप कोई आदेश दिया
कांपता हुआ वह क्या कल्पना की आंखों में बसा अंतरदृश्या अंतरदृश्य था,
हिकोरी वृक्ष की पत्तियां या एक तन्वंगी या जमती बर्फ़ की छूरी-
जो मेरी पलकों की कोरों पर उभर चुकी थी-
जो मुझे करना था वह अपनी आंखें खोल
पत्तियों का पुनर्जन्म देखना था, या
अंतरदृश्यर या अंतरदृश्य पत्तियों की विजयपताखाएं
मैं नहीं समझ सका कि क्यों मैं झरने की ओर से आगे ओसारे की ओर आया
जब कि मुझे लेकरोड पकड़नी थाथी, जो स्कूल को जाती थी,
अब जब कि कोई वृक्ष आड़े नही आ रहा है
कोशिश कर के भी मैं छत तक नहीं देख पा रहा:
जिसके चारो ओर खुले गजरे सी पौधों की छत गिर रही थी ।
सफेद तितलियां लवेंउर लवेंडर के फूल की ओर मुड़ीं
जैसे इसकी छाया के नीचे से निकलना चाह रही हों
और उनके पंखों की हवा से वह हल्का झूलता सा दिखता है
घर भी बहुत कुछ ऐसा ही लग रहा था
एक पंख का हम नवीकरण कर चुके थे वहां शीशे का एक धूप स्नान का घेरा था
जहां एक तस्वीर खुलती है, किनारे से सजी सुनहरी कुर्सियों के सथासाथ
टीबी पर रखा बड़ा सा पेपरवेट कठोर हवा चक्की की तरह चमकता है
पतली मोकिंग बर्ड
समाचारों को दुहरा रही होती है
चिप्पो-चिप्पों चिप्पो की दबी आवाज से लेकर टूबी-टूबी की तीखी और फिर घिसती हुई
कम हियर,कम हियर की मद्धिम ध्वनि
अपनी पूंछ को ऊंचा झुलाती
पक्षी विज्ञानी थे दोनों
मैंने सोचा कि अभी उनका आह्वान करूकरूं
कि आज हमारे हजारों माता-पिता हैं
पर उदासी में डूब उन्होंने खुद को पीछे कर लिया
पर कुछ शब्द
संभावित शब्द
बुदबुदाता हूं मैं-जैसे ‘‘रोगी हृदय’’ हमेशा पिता के लिएऔर ‘‘अग्नाषय ‘‘अग्नाशय का कैंसर’’ माता के लिए
मैं
यहीं अपने विस्तरे के समीप
कैनेडियन दासी द्वारा तहाए
विस्तसरे विस्तरे के पास मैं सुनता हूं
किसी की चहलकदमी सीढ़ियों पर
और प्रार्थनाएं
हरेक के हमेशा सुखी रहने की
चाचा, चाची और दासी और उसकी भीतीजी एडले जिन्होने पोप को देखा है
किताबों में मनुष्य की तरह और ईश्व र ईश्वर की तरह
अपनी भोली, आधुनिक चाची द्वारा लाया गया था मैं
मैं
एक कवि और चित्रकार
प्रलय के दृश्योंध दृश्यों और विकास के हास्यास्पद सिद्धान्तों के अंतरग्रंथन को
सीधी आंखों से देखने वाला
कि देख सके, मेरे अगले बच्चे का जन्म
उसका कमरा हने हमने अलगा रखा है
ये सब मिलकर उसके जीवन को एक शांत आकार दे रहे थे
खारे जल की एक झील
--- गद्य पुस्तक एक सिद्धांत पर खुलती है-‘‘मून-मूनराइज-मूर-मोरल’’
नाखुश गिटार, मानवी खोपड़ी, और क्षेत्रीय तारा सी एक विलक्षणताःविलक्षणताजो एक तरंग के झटके से धड़कती है-5-4होमर होमर के चैपमैन पर और दरवाजे पर अंगूठे से ठेपा ठप्‍पा लगाया मैंने
मेरा जमीर मेरी जवानी में ही मर गया
और
स्वतंत्र व्यक्ति को ईश्वरर ईश्वर की जरूरत नहीं पड़ती
पर क्या मैं स्वतंत्र था- ?
किस तरह मैं धीमे-धीमे मौसम के करीब पहुंचा
चांद के चारों ओर चमकता गुलाबी घेरा रक्तिम नारंगी सूर्य
जुड़वे इंद्रधनुष और अकेली घटना की तरह वह एल्डर का पौधा-
जब सुंदर और आश्चअर्यजनक आश्चर्यजनक चमकते आकाश में
एक पहाड़ की ऊँचाई से उपर दूधिया पत्थर सा अंडाकार बादल
एक कड़कते तूफाने का कड़कता तूफान इंद्रधुनष परवर्तित परावर्तित करता हैजिसका एक अकेली घटी घाटी में मंचन हो चुका है-
क्यो कि हम बहुत ही कलाकारी से कैद किए गए हैं
हजारो साल पहले सुंदर रेत के 20 छंटाक के बराबर होता था पांच मिनट
घूरते तारे
अनंत समय पूर्व और अतंत समय पहले पश्चाछत तुम्हामरे पश्चात तुम्हारे सर के आगे
अपने राक्षसी डैने फटकारेंगे और तुम मर जाओगे ।
ज्यादा प्रसन्न रहता है पानी से गुजरता हुआ भी
वह दूधिया रास्ते देखता है
अभी जैसा कि मैं अपने रिस्कग रिस्क पर टहल रहा हूंछड़ी से पीटा गया ठूंठ से कुचला गया दमा ग्रसित ग्रस्‍त लंगडा और मोटा मैंकभी एक गेंद नहीं उदाल उछाल सकता
न कोई बल्ला झुला सकता हूं ।
बावजूद इसके मैं एक लहराता चिथड़ा था
सपनों में मैं दूसरे छोकरों के साथ खेलता हूं
पर किसी से ईर्ष्यास ईर्ष्या नहीं करता
शायद अब भी मैं मन में एक पहिए की सायकिल
भीगी रेत पर उदासीन निपुणता से चला सकने का चमत्कार संजोए हूं ।
तब मेरे सर में एक अग्निस्फोट हुआ था ।
तब कालरात्रि थी और वह एक विशिष्ठे विशिष्ठ कालिमा थी
मैंने खुद को शून्य और समय में बंटता महसूस किया
एक पैर पहाड़ी के उपर, एक हाथ पत्थरों के कांपते किनारों के नीचे
एक बर्फीला कंपन मेरी पथरीली आयु को कम कर रहा था
और सारे भविष्यत मेरी केहुनी में थे
एक जोड़े जाड़े की हर दोपहरी को उस क्षणिक मूर्छा में डूबता था मैं
और तब इससे मुक्ति मिली थी
इसकी छवि धूमिल पड़ी
मेरी मेरा स्वास्थ्य सुधरा
यहां तक कि
मैं तैरना सीख चुका था
पर अपनी क्षुद्र प्यास को बुझाने के लिए कोई दुष्टा स्त्री
जिस तरह किसी बालक को अपनी बाहों में खींच रही हो,
मैं बर्बाद किया गया था , डराया ललचाया गया था
तब बूढ़े डाक्टर कोल्ट ने मुझे चंगा घोषित किया था
उस दर्द से जिसे उसने मुझमें मुख्यतः बढ़ता हुआ पाया था
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