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देस-परदेस सूं, सात समदर पार सूं
रोजीनै हजारूं मिनख
देखै अर सुणै घणै अचंूभै अचूंभै साथै-
अठै लागतौ राजाजी रौ दरबार
आं ढोलियां सोवता वै सुख री सेज
आं सुथरी घड़त वाळा घड़ा मांय
राखीजती दारू
अर इण सोवणी सुराहिया सूं बांदîां बांदयां
बणावती ही वांरौ पैग
अै वांरा हीरा-मोतियां जड़îा जड़यां गाभा
अै रैया हथियार, अै कवच
औ अेक राणी रौ म्हैल
सगळा सैलांणी देखै
थांरा अै सोवणा म्हैल-माळिया
अर देखंू देखूं म्हैं ई साथै-साथै
कै नीं दिखै किणी नै ई
इणां मांय साव चोवतौ
अर किसी मजूरी दीरीजी हुयसी वांनै
घर सूं रोटी खायनै आवता बापड़ा
अर रात रळîां रळयां घरै जायनै ई पाछा जीमता
राजा नै तौ बस करणौ हुवतौ हुकम
जनता बापड़ी करती रैवौ बेगार
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